Friday 24 April 2020

कक्षा -  8      


प्र. दीवानों की दस विशेेषताएँ लिखिए
उ. दीवानों की दस विशेषताएँ इस प्रकार है - 
1. दीवाने लोग एक जगह पर टिककर नही बैठते
2. वे जहाँ जाते है, वहाँ मस्ती का वातावरण छा जाता है
3. वे सबके सुख– दुख में साथ देते हैं
4. वे संसार मे प्रेम बाँटते है
5. वे संसार सेअच्छी आदतें सीखते हैं तथा संसार को कुछ अच्छी बातें सिखाते हैं
6. वे दूसरों की बात ध्यानपूर्वक सुनते हैं तथा दूसरों को अपनी बात सुनाते हैं
7. वे सुख तथा दुख दोनों को समान भाव से ग्रहण करते हैं
8. वे संतोषी स्वभाव के होते हैं तथा थोड़े मे भी सदा प्रसन्न रहते हैं
9. वे अपने – पराये मे भेद नही करते तथा समस्त विश्व को अपना परिवार मानते हैं
10. वे सामाजिजक बंधनों म बँधकर नहीं रहते |

Wednesday 22 April 2020

 CLASS 8


निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें |



1. वर्ण किसे कहते हैं ?


2. वर्ण के कितने भेद हैं ? नाम लिखिए ।


3. स्वरों के कितने भेद हैं ? नाम लिखिए ।

4. ह्रस्व स्वर किन्हें कहते हैं ? उदाहरण लिखिए ।


5. दीर्घ स्वर किन्हें कहते हैं ? उदाहरण लिखिए ।


6. कौन से स्वरों को अयोगवाह कहा जाता है ?


7. हिन्दी में कितने व्यंजन हैं ?


8. व्यंजनों में कौन से पाँच वर्ग हैं ? नाम तथा उदाहरण लिखिए ।


9. पंचमाक्षर क्या होते हैं ? प्रत्येक वर्ग का पंचमाक्षर उसके सामने लिखिए ।
10. संयुक्त व्यंजन किन्हें कहते हैं ? हिन्दी में कितने संयुक्त व्यंजन हैं ? 


नाम लिखिए तथा प्रत्येक संयुक्त व्यंजन के दो दो उदाहरण लिखिए।

11. ड तथा ड़ और ढ तथा ढ़ से दो दो शब्द लिखिए ।


write only first answer from this page ( FOR CLASS 8 ONLY)


Monday 20 April 2020

LESSON 4 QUESTION AND ANSWERS FOR CLASS 8

         


   
पाठ  4

दीवानों की हस्ती

प्रश्न-1   कवि ने अपने आने को उल्लासऔर जाने को आँसू बनकर बह जानाक्यों कहा है?
उत्तर - कवि ने अपने आने को उल्लासइसलिए कहा है क्योंकि उसके आने पर लोगों में जोश तथा ख़ुशी का संचार होता है। कवि लोगों में खुशियाँ बाटता है। इसी कारण लोगों के मन प्रसन्न हो जाते हैं। पर जब वह उस स्थान को छोड़ कर आगे जाता है तब उसे तथा वहाँ के लोगों को दुःख होता है। विदाई के क्षणों में उनकी आँखों से आँसू बह निकलते हैं।
प्रश्न-2   भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है  
उत्तर ) यहाँ भिखमंगों की दुनिया से कवि का आशय है कि यह दुनिया केवल लेना जानती है 
देना नहीं, कवि ने भी इस दुनिया को प्यार दिया पर इसके बदले में उसे वह प्यार नहीं मिला 
जिसकी वह आशा करता है। कवि के लिए यह उसकी असफलता है। इसलिए वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है। अतकवि निराश हैवह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों के जीवन में भरने में असफल रहा।
प्रश्न-3   कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?   
उत्तर - कविता में कवि का जीवन को जीने का नज़रिया, हर परिस्थिति में खुश रहने की कला, सुख - दुःख को समान भाव से लेने की कला, दूसरों की खुशियों को ध्यान रखना इत्यादि बातें अच्छी लगी।
प्रश्न-4   कवि ने अपने आप को दीवाना क्यों कहा है?
उत्तर ) कवि ने अपने आप को दीवाना इसलिए कहा है क्योंकि वह मस्तमौला है।उसे किसी बात की फिक्र नहीं है। वह अपनी मस्ती में ही बिना किसी मंज़िल के आगे बढ़ा चला जा रहा है।




प्रश्न-5   कवि ने अपने जीवन को मस्त क्यों कहा है  
उत्तर ) कवि को दुनिया की कोई परवाह नहीं है।  उसे किसी बात का दुःख है और ना ही किसी बात की खुशी। उसका रुकने का कोई निश्चित स्थान नहीं है। यही कारण है की कवि ने अपने जीवन को मस्त कहा है।
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Thursday 16 April 2020

HINDI VYAKARAN OF CLASS 8

   


   
वर्ण विचार
वर्ण विचार  के अंतर्गत हम वर्ण विचार, वर्णमाला, स्वर स्वर के भेद, व्यंजन व्यंजन के भेद और अयोगवाह के बारे में पड़ेगे |
वर्ण विचारवर्ण / अक्षर भाषा की सबसे छोटी इकाई, जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते, वह वर्ण कहलाती है।
जैसे , , क्, म्, च् आदि
वर्णमाला  वर्णों का व्यवस्थित क्रम वर्णमाला कहलाता है।
हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण है।
वर्णों के प्रकार
स्वर
जिन वर्णों के उच्चारण में दूसरे वर्णों की सहायता नहीं लेनी पड़ती, वे स्वर कहलाते हैं।
  स्वरों की संख्या 11 होती है।
  ‘‘, , , , , , , , , , ’’
स्वर के भेद
हृस्व स्वर  जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे कम समय लगता हैं, उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं।
जैसे     , , ,
दीर्घ स्वर  जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वर से दुगुना समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
जैसे     , , , , , , औ।
 प्लुत स्वर  जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वर से तिगुना समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वरकहते हैं।
        वर्तमान समय में प्लुतस्वर का प्रयोग केवल उच्चारण में किया जाता है।
जैसे     ओइम, रधियाऽऽऽ
स्वरों की मात्राएँ
मात्रा स्वरों के निर्धारित चिह्न होते हैं, जो व्यंजनों के साथ जुड़कर उनका स्वरूप बदल देते हैं, ये चिह्न मात्राएँ कहलाते हैं।
जैसे
व्यंजन
जो ध्वनियाँ स्वरों की सहायता से बोली जाती है। उन्हें व्यंजन कहते हैं।
जैसे क = क् + अ
व्यंजन के भेद 
स्पर्श व्यंजन  जिन वर्णों के उच्चारण में जिह्वा मुख के विभिन्न भागों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।
        स्पर्श व्यंजन 25 होते हैं।
स्पर्श व्यंजनों का वर्ग एवं उच्चारण स्थान
अंतः स्थ व्यंजन  य्, र्, ल्, व् हैं। इनकों अद्र्ध स्वर भी कहा जाता है।
ऊष्म व्यंजन श्, ष्, स्, ह्
संयुक्त व्यंजन  दो अलग-अलग व्यंजनों के मिलने से जो नया व्यंजन बनता ह, उसे संयुक्त व्यंजन कहते हैं।
        ये मुख्यतः चार हैं।
जैसे     क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
क् + ष् + अ = क्ष = क्षत्रिय
त् + र् + अ = त्र = त्रिशूल
ज् + ञ् + अ = ज्ञ = ज्ञानी
श् + र् + अ = श्र = श्रीमान