Sunday, 21 June 2015





      सौहार्द्य का मंत्र सहनशीलता
जापान के 'सम्राट यामातो' का एक मंत्री था-' ओ-चो-सान'। उसका परिवार सौहार्द के लिए बड़ा मशहूर था। हालांकि उसके परिवार में लगभग एक हजार सदस्य थे, पर उनके बीच एकता का अटूट संबंध था। उसके सभी सदस्य साथ-साथ रहते और साथ ही खाना खाते थे। इस परिवार के किस्से दूर दूर तक फैल गए। ओ-चो-सान के परिवार के सौहार्द की बात 'सम्राट यामातो' के कानों तक भी पहुंच गई। सच की जांच करने के लिए एक दिन सम्राट स्वयं अपने इस बुजुर्ग मंत्री के घर तक आ पहुंचे।
स्वागत, सत्कार और शिष्टाचार की साधारण रस्में समाप्त हो जाने के बाद
यामातो ने पूछा- "ओ-चो! मैंने आपके परिवार की एकता और मिलनसारिता की ढेरों कहानियां सुनी हैं। क्या आप बताएंगे कि एक हजार से भी अधिक सदस्यों वाले आपके परिवार में यह सौहार्द और स्नेह संबंध आखिर किस तरह बना हुआ है।"
ओ-चो-सान वृद्धावस्था के कारण ज्यादा देर तक बात नहीं कर सकते थे। इसलिए उसने अपने पौत्र को संकेत से कलम-दवात और कागज लाने के लिए कहा। जब वह ये चीजें ले आया तो उसने अपने कांपते हाथ से तकरीबन सौ शब्द लिखकर वह कागज सम्राट को दे दिया।
सम्राट यामातो अपनी उत्सुकता न दबा पाया। उसने फौरन उस कागज को पढ़ना चाहा। देखते ही वह चकित रह गया। दरअसल, उस कागज पर एक ही शब्द को सौ बार लिखा गया था। और वह शब्द था- "सहनशीलता"।
सम्राट को अवाक देख ओ-चो-सान ने कांपती हुई आवाज में कहा- "मेरे परिवार के सौहार्द का रहस्य बस इसी एक शब्द में निहित है। सहनशीलता का यह महामंत्र ही हमारे बीच एकता का धागा अब तक पिरोए हुए है। इस महामंत्र को जितनी बार दुहराया जाए, कम है।"
दरअसल मित्रों!! देखा जाए तो, सिर्फ परिवार ही नही समाज या सम्पूर्ण विश्व की एकता भी इसी एक शब्द "सहनाशीलता" से संभव है॥

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